एक सिलसला तुम्हारी याद से तुम तक एक एहसास हर पल तुम्हारा होने का एक सिलसला तुम्हारी याद से तुम तक एक एहसास हर पल तुम्हारा होने का
वो सारे सिक्के रखे हैं मेरे ख़ज़ाने मैं, जिसे लगे थे तुम अपना बनाने मैं । वो सारे सिक्के रखे हैं मेरे ख़ज़ाने मैं, जिसे लगे थे तुम अपना बनाने मैं ।
हम हैं ही ऐसे इत्र के जैसे गजब खुमारी मुझमें मचले इसी खुमारी में तुम फिसले नैन से नै हम हैं ही ऐसे इत्र के जैसे गजब खुमारी मुझमें मचले इसी खुमारी में तुम फिसले...
ताकि उसी रस्ते पर चलकर मैं इसके सागर को पा सकूँ ! ताकि उसी रस्ते पर चलकर मैं इसके सागर को पा सकूँ !
गुजर सा गया हूँ! या, और थोड़ा, सँवर सा गया हूँ? बसंत के ये , दरख्त जैसे! गुजर सा गया हूँ! या, और थोड़ा, सँवर सा गया हूँ? बसंत के ये , दरख्त जैसे!
क्या मेरी मोहब्ब्त इतनी कमजोर है। क्या मेरी मोहब्ब्त इतनी कमजोर है।